जब अपनी ही बात अधूरी रह जाती है.
गम के घर में रहते है राम
बीते कल याद आ ही जाते है,
कितना दर्द होता है दिल मै,
जब सपने अधूरी रह जाती है.
बहारे आती है,चली जाती है बस तन्हाई . . . . . . . . .. ..
बिताये कल की यादे अक्सर
आखो में आसू ले आती है,
कितना दर्द होता है जब सावन,
में बरसाते अधूरी रह जाती है.
बहारे आती है,चली जाती है बस तन्हाई . . . . . . . . .. ..
कितना दर्द होता है जब सावन,
ReplyDeleteमें बरसाते अधूरी रह जाती है.्
राम जी बहुत भावमय मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति है। लिखते रहिये शुभकामनायें
nirmala ji ke itni sundar vichar ke aage kya kahoon ?bahut sundar rachna
ReplyDeleteबहारे आती है चली जाती है, बस तन्हाई रह जाती है,
ReplyDeleteदिल पे क्या गुज़री ये समझना मुश्किल है,
जब अपनी ही बात अधूरी रह जाती है.
गम के घर में रहते है राम
बीते कल याद आ ही जाते है,
कितना दर्द होता है दिल मै,
Bahut sundar rachana!
Holi mubarak ho!
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