Thursday, February 4, 2010

सावन का दर्द कुछ खास हो जाता है

सावन का  दर्द कुछ खास हो जाता है
उनके न आने से सावन में भी ,
 अपना ही घर शमशान  हो जाता  है.


हम इस इंतजार में बेठे रहते है
आयेगे हमारे प्रीतम इन सुने नैनो की बगिया में,
गुजेगी  कोयल की चहक यह  आस लगाये रहते है

हम तो यह सोचते है की कम से कम,
 एक मुलाकात में एक बात भी हो  जाये,
कर के बात अपने  प्रीतम से ,
यह जन्म भी धन्य  हो जाये.

  कितना दर्द होता है जब,
इस सावन  में भी,
 अपनी मुलाकात अधूरी रह जाती है , 
 अपनी ही बात अधूरी रह जाती है.

सावन का  दर्द कुछ खास होता है
उनके न आने से . . . . . . .

2 comments:

  1. प्रयास अच्‍छा है लेकिन अशुद्धियां बहुत हैं, उन्‍हें सुधारों नहीं तो अर्थ का अनर्थ होगा।

    ReplyDelete
  2. हम तो यह सोचते है की कम से कम,
    एक मुलाकात में एक बात भी हो जाये,
    कर के बात अपने प्रीतम से ,
    यह जन्म भी धन्य हो जाये.
    BHAV BAHUT ACHCHHE LAGE

    ReplyDelete